...

6 views

मिस रॉन्ग नंबर - 7
#रॉन्गनंबर

~~~~ पार्ट 7 ~~~~

(जीत फोन आए लड़की की मदद के लिए निकलता है~~~~)

आखरी पल~~~~

ये क्या हो रहा है मेरे साथ ??? क्या कल जो कुछ भी हुआ सपना था, या मेरे मन का भ्रम है????.... नहीं यार..... ऐसा होता तो... अभी... बिलकुल अभी... जगने के बाद भी तो देखा था उसे....! क्या बला है यह... कहीं कोई चुड़ैल तो नहीं ????
खूबसूरत चुड़ैल ????

अब आगे~~~~

खूबसूरत चुड़ैल ???? हां तभी तो... मुझे मेरी अंतरात्मा से आवाज लगा रही थी । तभी तो... मेरा नाम जानती थी । तभी तो.... मैं जिस घर की तरफ कभी बढ़ा नहीं... मैं चला गया...! तभी.... वहां जो कुछ था मैं तबाह कर पाया....! और इस लड़की.... नहीं... चुड़ैल को उठा कर भागता हुआ घर आया था.... इतनी तेजी से भागना वो भी एक लड़की... नहीं... खूबसूरत चुड़ैल.... को लेकर भागना आसान नहीं...!

जीत का दिमाग झनझना गया । अब तक देखें सारे हॉरर - सस्पेंस मूवी, सीरियल्स में से जो भी ज्ञान इकट्ठा किया था सारा ज्ञान उसके कदमों को चूम रहा था...!
चाय का इकलौता घूंट ही लिया था की फ्रेश लगे....! तो.... ये तो और बड़ा झटका लग गया...! बस अब लगभग इसके बेहोश होने की ही देरी थी....!
नहीं.. इतना कमजोर नही है जीत...! ना मन से ना तन से अरे भाई जिम जाता है, शौकिया ही सही...., पर कुश्ती भी लड़ लेता है.....।
ऐसी बकवास बातों पर कभी उसने विश्वास ना किया ना करेगा ।

पर भगवान, ये मेरे साथ हो रहा है... वो क्या है????

कोई 'प्रैंक' तो नही ??? हां... हो सकता है... जरूर हो सकता है...! नहीं... ऐसाही होगा कुछ...! जरूर वो यहीं कहीं छुपे हो सकते है ।
साले मेरे दोस्त....!! कुछ कम नहीं है... कुछ भी कर सकते है...! मैं देखता हूं, बाहर कोई न कोई तो छुपा हुआ मिल ही जायेगा ।
पड़दे के पीछे से चुपचाप खिड़की से झांककर देखते हुए उसने दोस्तों की टोह लेने की कोशिश की...! कोशिश तो.... कोशिश ही रही....!
बाहर सब सामान्य था...! कुछ भी अजीब नहीं हर तरफ ऐसे दिख रहा था जैसे किसीको किसी की कोई पड़ी नहीं है । हर कोई अपने .. अपने में ही व्यस्त....! कहीं कोई सुगबुगाहट नहीं...!

यहां तो ऐसा कुछ महसूस न हो रहा हैं । फिर वो गई तो गई कहां ??

अरे.... कही कोई चोरनी तो नहीं????

हां... यार... ये हो सकता है....!!!

तो फिर इसे घर में ही ढूंढना चाहिए...!

मतलब यदि ये कोई चुड़ैल नही तो....

तो क्या समझूं??? चुड़ैल... या.. चोर..??

जो भी हो पहले मुझे अपने घर की ही तलाशी लेनी चाहिए.... हो न हो कही कोई नई दुर्घटना ना हो जाएं....!

नीचे हॉल में तो वो खुद बैठा था, अभी अभी किचन से भी आया था, बचा मां पिताजी वाला कमरा, तो वो बंद है..! मतलब वहां से कोई आवाज नहीं है...! शायद ऊपर... मेरे कमरें में ????
जीत तुरंत दौड़ पड़ा....!
ऊपर एक जीत का कमरा, फिर उसकी शादी हो चुकी बहन का कमरा, एक कॉमन हॉल जो दोनों के कमरे के बीच में है, दोनों कमरों को बाहर की ओर बालकनी है, पर वो तो जब कोई कमरें में जाएं तो ही जा पायेगा । बहन के कमरें में ताला जड़ा है । वो तो... या तो सफाई के लिए खुलता है या फिर बहन आती है या कोई रिश्तेदार आते है तब रहने के लिए खोला जाता है वर्ना.... नहीं...! तो... ये तो अब भी तालें में सुरक्षित है ।
मेरे कमरें को मैने कुंडी लगवाई थी, जब से मां पिताजी गए है मैं नीचे के दीवान पर ही सोता हूं, जहां उस लड़की.. ना.. चुड़ैल... शायद चोरनी को सुलाया था...!
मेरा कमरा भी बंद है....। ऊपर छत पर ??? अरे छत पर जाने वाले सीढ़ी का दरवाजा भी बंद है....!
मतलब कहीं ऐसा तो नहीं की मां के कमरे में ????
हां... वहीं तो मैने पहले झांकना चाहिए था । हे भगवान....! मैने क्या किया ???
जितनी फुर्ती से जीत नीचे जा सकता था नीचे गया.... मां के कमरे की कुंडी खुली थी पर दरवाजा भिड़ा हुआ था...! कही ये अभी भी अंदर ही तो नहीं ??

ठीक है मैं रंगे हाँथ पकड़ूंगा.....! पर कहीं दरवाजा अंदर से बंद तो न किया है ??
जीत धीरेसे दरवाजा धकेलकर देखता है...!
दरवाजा तो खुला है ।
उसने झट से दरवाजा खोला, ताकि उसे रंगे हांथ पकड़ा जाएं....!

"अर्थात पकड़ने लायक हो तो... मतलब... पकड़ सकता हूं तो... !"

"अरे यार....! मुझे कुछ नहीं सोचना है बस उसे ढूंढना है... !" विचारों को झटक कर उसने कमरे में कदम रखा...

ये क्या कमरा तो पूरा खाली है...।
और सारा सामान बिलकुल यथावत...! कोई छेड़छाड़ नहीं...!
जरूर कही छुपी होगी...। उसने चप्पा चप्पा छान मारा...! पर वो कहींभी नहीं दिखाई दी...!

( क्रमशः ~~~~ )

(आगे की कहानी की प्रतीक्षा करिए... अगले अंक में हम फिर जल्द ही मिलेंगे आगे क्या हुआ जानने के लिए...)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
© Devideep3612