7 Reads
#इबादत सरेआम #
इश्क़ इबादत सरेआम ना करो,
दिलो-जान को यूं बदनाम ना करो।
खामोश निगाहों में जो सच्चाई है,
हो बयान , पर तुम ऐलान ना करो।
मौसम-ए-गुलशन में खिले फूल से,
उनकी खुशबू को यूं अंजाम ना करो।
रुस्वाई का सबब बन जाएगा ये ,
अपनी चाहत को सरेआम ना करो।
दिल की बातें दिल में ही रहने दो,
इन हसरतों को यूं नीलाम ना करो।