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#मलय

मलय तृण का सुर्ख़ - अग्नि सा रंग,
दर्शातीं मलय उन्मुक्त पावन उमंग;
अच्छे- बुरे सभी देखे दुनिया प्रसंग,
जग आपदा कर नहीं पाई तप भंग।

क्षण क्षण तप तृण देत सभी सुगंध,
सुधि माथ पर सजा बनकर त्रिपुंड;
मलय मृदुल मन तनिक नहीं घमंड,
निर्मल नीर संपर्क स्नेह सार प्रचंड।