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/#मात्र_मोक्ष_ही_पूर्णस्वतंत्रता/

तृण मिटता है, मगर स्मृतियां नहीं,
नवस्मृति रचने लौटेगी आत्मा यहीं;
काल चक्र चलता है, अविरल यूंही,
जबतक जीवन में मोक्ष प्राप्ति नहीं।