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सर पर सजा के रखा है
सुन लो तुम हो सरताज मेरे।
माथे की बिंदिया में तुम हो
तुम हो कल और आज मेरे।
नैनन के कजरा में तुम हो
तुम हो गजरा के नाज़ मेरे।
कानन कुण्डल चूड़ी कंगन
कमर बंद और झांझ मेरे।
मंगल सूत्र की सोभा तुम हो
तुम हो सोलह श्रृंगार मेरे।
तुम हो स्वामी स्वाभिमान हो
और प्राणेश्वर अभिमान मेरे।
pratima Singh ✍️