...

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अजब गजब लोगों का मिजाज होता जा रहा है
अज़ब गज़ब लोगों का मिज़ाज़ होता जा रहा है।
मोबाइल से चिपके रहना,रिवाज़ होता जा रहा है।।
एक चेहरे पे कई चेहरे ओढ़े मिलेगा हर एक अब।
असलियत छुपाने में हर एक उस्ताद होता जा रहा है।।
बात से तुरन्त पलट जाना,आवश्यकतानुसार ढल जाना।
रंग बदलने में इंसाँ गिरगिट का भी बाप होता जा रहा है।।
सुरसा के मुँह की तरह बढ़ रहीं है घटनाएँ बलात्कार कीं।
फाँसी पर चढ़ा देने का कानून भी बेकार होता जा रहा है।।
युग बदल गये सदियां गुजर गईं रही वही पुरूष की सोच।
नारी के प्रति अपराधों का ऊंचा ही ग्राफ होता जा रहा है।।
ये कैसी अपनायीं अर्थनीतियाँ हो रहा यह कैसा विकास।
अमीर होता जा रहा अमीर,गरीब गरीब होता जा रहा है।।
झूठों का है अब बोलबाला ,सच्चों का हो रहा मुँह काला।
प्रभु तेरी दुनिया में कैसा कैसा उलट फेर होता जा रहा है।।