अंजाम
गुमान
इंसान तो इंसान है, हर ग़म से परेशान होगा
जवां खून तो गर्म है, और भी नादान होगा
मासूमों को बहकाना काम बड़ा आसान होगा
आग में घी देना सियासतदानों का काम होगा
जो मंदिर मस्जिद जात धर्म पे घमासान होगा
न किसानों को दाम न जवानों को काम होगा
चिंता बेसब्री बढ़ेगी गुस्सा सर-ए-आम होगा
कहीं शहर जलेंगे...
इंसान तो इंसान है, हर ग़म से परेशान होगा
जवां खून तो गर्म है, और भी नादान होगा
मासूमों को बहकाना काम बड़ा आसान होगा
आग में घी देना सियासतदानों का काम होगा
जो मंदिर मस्जिद जात धर्म पे घमासान होगा
न किसानों को दाम न जवानों को काम होगा
चिंता बेसब्री बढ़ेगी गुस्सा सर-ए-आम होगा
कहीं शहर जलेंगे...