...

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परिवर्तन
हुआ शोरगुल नगर डगरिया
ढूंढे मन फिर वही दिवसिया
सांझ ढले सब जन को खोजे
बचपन सारा जमाव लगाये
नेतृत्व करे कोई बनकर ज्ञानी
खेल खेलते , करे मनमानी
कही पर चलती घंटो बतिया
ठहरे पल भी उसी पहरिया
कहते सुनते बिसरा...