2 views
मिशन पहचान
अर्ज़ किया है....
कोई सुनता नहीं ,कोई देखता नहीं
कि क्या लिख ,बना रहा हूँ मैं
कोई सुनता नहीं ,कोई देखता नहीं
कि क्या लिख ,बना रहा हूँ मैं ,
ज़माने को तो सिर्फ
पैसा ,सौंदर्य ने आकर्षित कर रखा हैं
और पागलो कि तरह
कला से रिश्ता निभा रहा हूँ मैं |
सौ बार.भी गिरु ,पर रुकूंगा नहीं
अभ्यास प्रयास करता रहूँगा
सौ बार.भी गिरु, पर रुकूंगा नहीं
अभ्यास प्रयास करता रहूँगा,
जीवन के हर कठिन पल को कूद
अपनी पहचान बनाकर रहूँगा|
© अविनाश कुमार साह
© All Rights Reserved
Related Stories
10 Likes
0
Comments
10 Likes
0
Comments