man ka ghera
उसकी दुनिया में हम कभी थे नहीं
और हम अपनी दुनिया समझ बैठे
कई लोगो ने बोला भी था,
ये सही नहीं तुम्हारे लिए
पर उसके साथ रहने को ही सुकून मान ली
रोज कामिया गिनाते रहा, पर
मेरी क्या कमी थी..वो आज भी समझ नहीं पाई
चलो मान लिया कमी बहूत है मूझमे
पर ये कमिया पहले भी तो थी न
जब तुम मैं तुम्हारी सब कुछ लगी थी,
कामियों को तो सुधारा जा ही सकता
रिश्तों को छोड़ देना ये क्यु सही लगा
तुम तो मेरे थे , अपने थे
फिर भी रिश्तो से ज्यादा कमियां दिखीं
© miss pandey
और हम अपनी दुनिया समझ बैठे
कई लोगो ने बोला भी था,
ये सही नहीं तुम्हारे लिए
पर उसके साथ रहने को ही सुकून मान ली
रोज कामिया गिनाते रहा, पर
मेरी क्या कमी थी..वो आज भी समझ नहीं पाई
चलो मान लिया कमी बहूत है मूझमे
पर ये कमिया पहले भी तो थी न
जब तुम मैं तुम्हारी सब कुछ लगी थी,
कामियों को तो सुधारा जा ही सकता
रिश्तों को छोड़ देना ये क्यु सही लगा
तुम तो मेरे थे , अपने थे
फिर भी रिश्तो से ज्यादा कमियां दिखीं
© miss pandey