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रिश्ते
रिश्ते संयोग से मिलते हैं,
रिश्ते कर्मों से मिलते हैं।
रिश्ते व्यवहार से बनते हैं,
रिश्ते वाणी से बनते हैं।
रिश्ते प्रेम से जुड़ते हैं,
रिश्ते अपनेपन से जुड़ते हैं।
रिश्ते संभालने से ही संभलते हैं,
रिश्ते निभाने से ही निभते हैं।
रिश्तों की अहमियत समझने से है,
रिश्तों की अहमियत खुशफहमी से है।।
रिश्ते कर्मों से मिलते हैं।
रिश्ते व्यवहार से बनते हैं,
रिश्ते वाणी से बनते हैं।
रिश्ते प्रेम से जुड़ते हैं,
रिश्ते अपनेपन से जुड़ते हैं।
रिश्ते संभालने से ही संभलते हैं,
रिश्ते निभाने से ही निभते हैं।
रिश्तों की अहमियत समझने से है,
रिश्तों की अहमियत खुशफहमी से है।।
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