...

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दिलरुबा की दिलकशी
तुम्हारे हुस्न ए अदाओं का अंदाज़ मिल जाए,
तुम्हारे लफ्जों का मुझपे जो एजाज़ मिल जाए,
एक बार तुमसे बस मुत्तसिल हो जाने दो,
फिर तुम्हारे हर अल्फाज़ का मिजाज़ मिल जाए।

मुझे तुमपर जो हो वो ऐतबार मिल जाए,
तुमसे मुहब्बत का मेरी इकरार मिल जाए,
एक बार तुमसे बस रूबरू हो जाने दो,
फिर तुमसे इस दिल को करार मिल जाए।

तुमसे मिलने की जो मुझे वो तनिश मिल जाए,
तुम्हारी दिलकशी से मुझे कविश मिल जाए,
एक बार तुमसे बस मुखातिब हो जाने दो,
फिर तुम्हारी ख़ुशनुमाई की यूँ कशिश मिल जाए।

तुमसी मुशाहिदा का मुझे फितूर मिल जाए,
तुम्हारी हसीन निगाहों का ये नूर मिल जाए,
एक बार तुमसे बस मुलाक़ात हो जाने दो,
फिर तुम्हारी पुरकशिश का मुझे दस्तूर मिल जाए।

© Utkarsh Ahuja