...

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तुम भाव खाती रहो
तुम भाव खाती रहो
मैं खिलाता रहूंगा
तेरे दिल पर अपना प्यार का झंडा
बखूबी मैं फहराता रहूंगा
तुम भाव खाती रहो,,,,,

तुम सुन ले इस बात को कान खोलकर
तुझ पर अपना प्यार लुटाता रहूंगा
ओ दिल जानी दिलवाली मैडम
तुझ पर लिखता, तुझ पर गाता रहूंगा
तुम भाव खाती रहो,,,,,

बे इंतेहा मोहब्बत है तुमसे
तेरे पास आता जाता रहूंगा
तुमसे मांगूंगा नहीं कभी अपना हक
लेकिन तुम्हें आभास कराता रहूंगा
तुम भाव खाती रहो,,,,,

मधुर स्वर मधुर मुस्कान में
तेरे पास तुम्हें मैं गुनगुनाता रहूंगा
तुम रहो इलाहाबाद लेकिन मैं
तुम्हें अपना बिहार याद दिलाता रहूंगा
तुम भाव खाती रहो,,,,,

निर्झर सावन की घटा में
तुझे बरसात सा भिगोता रहूंगा
ओ काली जुल्फों वाली
तेरी लाल ओठ का रसपान पिता पिलाता रहूंगा
तुम भाव खाती रहो,,,,,

सूरज बनकर तेरी महल में
अंधेरा मैं भगाता रहूंगा
तितली बन कर तेरे पास मैं
मधुर प्यास बुझने आता रहूंगा
तुम भाव खाती रहो,,,,,

यह प्यारी सी दो आंखें को
तेरी आंखों से मिला कर आराम देता रहूंगा
यह भेंट है तुम्हें आज खुशियों की सौगात के तौर पर
फिर किसी और रूप में तुम्हें खुशी भेंट करता रहूंगा
तुम भाव खाती रहो,,,,,

तेरी नाम गाता
तेरी नाम से सिसकता रहूंगा
जब तक तुम मिल नहीं जाती हो
तुम्हें थोड़ी-थोड़ी सताता रहूंगा
तुम भाव खाती रहो,,,,,

संदीप कुमार अररिया बिहार
© Sandeep Kumar