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नही मिलती
वफ़ा को हरदम वफ़ा नही मिलती,
मोहब्बत पूरी हर दफ़ा नही मिलती।
कतार में खड़ी है वो कज़ा के लिए,
पर सियासत को कभी सज़ा नही मिलती।
बड़े आलिशान है शहरों के बंद घर,
मांँ-बाप को इनमें पनाह नही मिलती।
दर पर उस खुदा के माँग लो दुआ,
उसकी दुआ सी कोई दवा नही मिलती।
बात माना कर अपने दिल की 'ज़िआ'
दिल को सभी की रज़ा नही मिलती।
© zia
मोहब्बत पूरी हर दफ़ा नही मिलती।
कतार में खड़ी है वो कज़ा के लिए,
पर सियासत को कभी सज़ा नही मिलती।
बड़े आलिशान है शहरों के बंद घर,
मांँ-बाप को इनमें पनाह नही मिलती।
दर पर उस खुदा के माँग लो दुआ,
उसकी दुआ सी कोई दवा नही मिलती।
बात माना कर अपने दिल की 'ज़िआ'
दिल को सभी की रज़ा नही मिलती।
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