...

7 views

आश्रम
सुनो कवि ,
आज फिर एक कच्चा मकान बिखर गया
बचपन का वो पक्का वादा
मोह के धागों में कहीं उलझ खड़ा

सुनो कवि,
आज फिर एक कच्चा मकान बिखर गया

टूटी आस टुटा त्याग
फिर एक भरोसा
कांच की दीवार बन खड़ा
सुनो कवि,
आज फिर एक कच्चा मकान बिखर गया
खूबसूरत सा वो सफ़र
आश्रम की चर्चा बन गया

सुनो कवि ,
आज फिर एक कच्चा मकान बिखर गया

एक सहारा , एक राजदुलारा
फिर लाठी को अलविदा करके
अपने आप का तर्पण कर खड़ा

सुनो कवि,
आज फिर एक कच्चा मकान बिखर गया

अपनों का वो सुहाना सफ़र
आश्रम का दरवाज़ा बन चला
सुनो कवि,
आज फिर एक कच्चा मकान बिखर गया

बिखर गया
।। बिखर गया ।।




© Life मुसाफ़िर