...

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लिखते हैं, मिटाते हैं
आंखों में न दिखे जो दर्द,
वो काग़ज़ में दिखाते हैं ।
नीर आंख से स्याही में भरकर,
मंद गति से बहाते हैं ।
दिल में भरी भावनाओं को,
कोरे पन्ने पर बिछाते हैं ।
हँसी और मुस्कुराहट को,
खुशी खुशी लिख जाते हैं ।
ख़ामोशी, ख़ुशी, ख़फ़ा को,
लिखकर ख़ैरियत बनाते हैं ।
जज़्बात लफ्जों में बयां न कर पाते,
तो कलम से बयां कर जाते हैं ।
बस इसी तरह जिंदगी को अपनी,
हम…लिखते हैं, मिटाते हैं ।

© Utkarsh Ahuja