...

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मेरी नन्ही परी...
जब पहली बार पकड़ा था तुम्हे, तबसे तुम्हे सीने से लगा रखा है,
दूर करने का दिल ही नही करता, जितना भी निहार लूं, मन ही नहीं भरता।

तुम एक छोटे से कपड़े में लिपटी हुई मासूम, थोड़ी अंजान थोड़ी सहमी सी,
आज शादी के लाल जोड़े में लाडली दिख रही हो, कांच की गुड़िया जैसी।

जब पकड़ा था तुमने हाथ मेरा अपने छोटी हथेली से,
मेरा हाथ वैसे ही थामे चलने की कोशिश करती हो,
मगर बीच बीच में डगमगा जाती हो, बस याद रखना मैं रहूंगी सदा,
आज बिदाई पर गुड़िया इतने आसूं...