मिलोगे नहीं तुम मुझे ये पता था।
मिलोगे नहीं तुम मुझे ये पता था
मैं ऐसे किसी रस्ते में चल रहा था।
भटक कर भटक जाते हैं जिसपे चल के
वो ऐसी गली ऐसा वो रास्ता था।
चलो अब सफर को यहीं रोकते हैं
न मंज़िल था कोई न ही रास्ता था।
मिला वो मुझे यूॅं कि कोई भी ना हो
मैं भी सोचता हूॅं कि क्या वास्ता था।
चलो एक शादाब से मिलते हैं आज
बहुत वक्त से जो कहीं लापता था।
© Shadab
122 122 122 122
मैं ऐसे किसी रस्ते में चल रहा था।
भटक कर भटक जाते हैं जिसपे चल के
वो ऐसी गली ऐसा वो रास्ता था।
चलो अब सफर को यहीं रोकते हैं
न मंज़िल था कोई न ही रास्ता था।
मिला वो मुझे यूॅं कि कोई भी ना हो
मैं भी सोचता हूॅं कि क्या वास्ता था।
चलो एक शादाब से मिलते हैं आज
बहुत वक्त से जो कहीं लापता था।
© Shadab
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