...

26 views

!ऐ मजदूर बता मैं तेरे लिए क्या लिखूं!
!!ऐ मजदूर बता मैं तेरे लिए क्या लिखूं!!

तेरी बिखरती हुई जिंदगी को लिखूं
या फिर तेरी दुःखनुमा जिंदगी को लिखूं,
तेरी जिंदगी में आने वाले मौत को लिखूं
या फिर उसे मात देने वाले शक्ति को लिखूं,
तुझे हर मोड़ पर मिले ठोअर को लिखूं
या उस ठोकर से लडने वाले दमखम को लिखूं।।

!!ऐ मजदूर बता मैं तेरे लिए क्या लिखूं!!

अपने घर गांव पहुंचने की तेरी लालसा को लिखूं
या फिर तुझे कड़कती धूप में भटकते हुए लिखूं,
जिंदगी से मिली तेरी हार को लिखूं
या फिर उस हार को हराने वाली शक्ति को लिखूं,
तेरे पैदल चलने कि मजबूरी को लिखूं।या भोजन के लिए तड़पते तेरी भुख को लिखूं,

!!ऐ मजदूर बता मैं तेरे लिए क्या लिखूं!!

तेरी बहते आंख के आंसूओं को लिखूं
या फिर उसमें छिपे गम को लिखूं,
तुझे मिली हुई संत्वना को लिखूं
या फिर कुछ न मिलने कि आशा को लिखूं,
टुटती हुई तेरी विश्वास को लिखूं
या फिर कुछ न कुछ कर पाने कि लालसा को लिखूं।।

!!ऐ मजदूर बता मैं तेरे लिए क्या लिखूं!!

सड़क के लम्बे होने के गुरूर को लिखूं,
या उसे पैदल ही नाप लेने कि हौसले को लिखूं,
तेरी कांटों भरी राहों को लिखूं
या फिर उस राह पर चलने कि तेरी हिम्मत को लिखूं,
तेरी जले थके पांवों को लिखूं
या उस पांवों को हार ना मानने कि ज़िद को लिखूं,।

!!ऐ मजदूर बता मैं तेरे लिए क्या लिखूं!!