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गुलाब💔
इश्क़ हमने भी किया था
और किताबो में गुलाब रखे थे,
किसी को पाने के आंखो में ख्वाब रखे थे,
एक दो नहीं बेहिसाब रखे थे,
महफ़िल में उसने आशिक़ सबाब रखे थे,
और "मुझे इश्क़ वगैरह से डर लगता है"
उसने तो मेरे लिए बहाने भी लाजवाब रखे थे।
© SHASHI
और किताबो में गुलाब रखे थे,
किसी को पाने के आंखो में ख्वाब रखे थे,
एक दो नहीं बेहिसाब रखे थे,
महफ़िल में उसने आशिक़ सबाब रखे थे,
और "मुझे इश्क़ वगैरह से डर लगता है"
उसने तो मेरे लिए बहाने भी लाजवाब रखे थे।
© SHASHI
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