kaise jiya jaye tum bin...
मेरे मासुम से ख्वाबों की कीमत बहोत बड़ी थी।।।
खुद को खो कर भी मुझे मेरे ख्वाबों की दुनिया नहीं मिली थी।।।।
बड़ी सस्ती थी वफादारी मेरी ओर मुफ्त का मेरा किरदार था,,,
बेकद्री ने खरीदा था मुझे दिल मेरा नादान था।।।।
अपने रूबाब में उसने पाई पाई का हिसाब रखा था,,,
मुफ्त की चीज़ का उसने क्या खूब इस्तेमाल किया था।।।।
हर जज़्बात मेरा खिलौना था मेरी हर बात कहानी थी।।।।
जुर्म मेरा प्यार था सज़ा में मुझे...
खुद को खो कर भी मुझे मेरे ख्वाबों की दुनिया नहीं मिली थी।।।।
बड़ी सस्ती थी वफादारी मेरी ओर मुफ्त का मेरा किरदार था,,,
बेकद्री ने खरीदा था मुझे दिल मेरा नादान था।।।।
अपने रूबाब में उसने पाई पाई का हिसाब रखा था,,,
मुफ्त की चीज़ का उसने क्या खूब इस्तेमाल किया था।।।।
हर जज़्बात मेरा खिलौना था मेरी हर बात कहानी थी।।।।
जुर्म मेरा प्यार था सज़ा में मुझे...