...

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kaise jiya jaye tum bin...
मेरे मासुम से ख्वाबों की कीमत बहोत बड़ी थी।।।
खुद को खो कर भी मुझे मेरे ख्वाबों की दुनिया नहीं मिली थी।।।।
बड़ी सस्ती थी वफादारी मेरी ओर मुफ्त का मेरा किरदार था,,,
बेकद्री ने खरीदा था मुझे दिल मेरा नादान था।।।।
अपने रूबाब में उसने पाई पाई का हिसाब रखा था,,,
मुफ्त की चीज़ का उसने क्या खूब इस्तेमाल किया था।।।।
हर जज़्बात मेरा खिलौना था मेरी हर बात कहानी थी।।।।
जुर्म मेरा प्यार था सज़ा में मुझे अपनी खुशियां गवानी थी।।।।।
बंद आंखों में मैं हीरा ,,खुली आंखों में एक सामान थी,,,,
इश्क में लिपटी आंखे सच देख कर भी सच से अनजान थी।।।।
अगली पिछली ज़िंदगी और इस ज़िंदगी का भी हर पल तबाह किया था।।।।।।
मैंने प्यार से प्यार पाने का सबसे बड़ा जुर्म किया था।।।।
कतरा कतरा बिखर कर मैने इज्ज़त की भीख मांगी थी।।।।
मेरे खरीदार ने चाबी भरी मुझमें और में अँगारों पर नाची थी।।।।।।
साथ सफर में हमसफ़र बन कर हाथ पकड़ कर चली थी,,,,
वक्त के साथ एहमियत कम हुई फिर मैं पैरों में भी गिर गई थी।।।।
सिर्फ उसकी हूं मैं पूरा हक़ है उसका मुझ पर ये गुमान मेरा था,,,,
हर खिलोने का टूटना ज़रूरी है इससे रूबरू होना भी ज़रूरी था।।।।

© vandana singh