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हे वागेश्वरी...
✨🙏🏻✨
हे जगत तारिणी तमस हारिणी
ज्ञानदायिनी मातेश्वरी
हे पुस्तकधारिणी हंसविहारिणी
दीप्तिदायिनी वागेश्वरी
🪷
इस कलम का वंदन शब्दों में
स्वीकार करो, हे मातेश्वरी
देना आशीष ये चलती रहे,
और लिखती रहे,नव स्वर नित दिन
अपने कर कमलों की छाया में
रखना हर कण, अक्षर नित दिन
🪷
हे चेतनदायनी,बुद्धिदायनी
मार्गप्रदायनी मातेश्वरी
इस कलम का वंदन शब्दों में
स्वीकार करो हे मातेश्वरी.
🪷
विचारणा,भावना और संवेदना धात्री
हम सब की पूजनीय, शारदा मातृ
हे साहित्य,संगीत और कला की देवी
तव चरणों में कोटि कोटि प्रणाम✨🙏🏻✨
© Pri Poetry 💫
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