जीना भूल गई हूं
ना जाने किस बात की सोच में खोई रहती हूं,
खामोश रहती हूं बक बक करना भूल गई हूं,
रोती नहीं हूं पर अब मुस्कुराना भूल गई हूं,
पहले की तरह अब मैं जीना भूल गई हूं।
दिल मेरा भी करता है ख्वाब सजाने को,
पर जब से टूटी हूं ख्वाब सजाना भूल गई हूं,
कोई है भी क्या अपना हर वक्त यही सोचती हूं,
न जाने क्यों मैं पहले की तरह जीना भूल गई हूं।
खामोश रहती हूं बक बक करना भूल गई हूं,
रोती नहीं हूं पर अब मुस्कुराना भूल गई हूं,
पहले की तरह अब मैं जीना भूल गई हूं।
दिल मेरा भी करता है ख्वाब सजाने को,
पर जब से टूटी हूं ख्वाब सजाना भूल गई हूं,
कोई है भी क्या अपना हर वक्त यही सोचती हूं,
न जाने क्यों मैं पहले की तरह जीना भूल गई हूं।