हे कान्हा!
हे कान्हा,
तुम्हारा ये नटखट स्वभाव कहूँ,
या तुम्हारा आकर्षित रूप,
जो तुम्हे देखते ही गोपियाँ,
मंत्रमुग्ध हो जाती हैं।
हे कान्हा,
तुम्हारा ये साँवला रंग कहूँ,
या मीठी तुम्हारी वंशी की धुन,
जो गोकुल की सारी गईयां,
तुम पर वारी वारी जाती हैं।
हे कान्हा,
तुम्हारा...
तुम्हारा ये नटखट स्वभाव कहूँ,
या तुम्हारा आकर्षित रूप,
जो तुम्हे देखते ही गोपियाँ,
मंत्रमुग्ध हो जाती हैं।
हे कान्हा,
तुम्हारा ये साँवला रंग कहूँ,
या मीठी तुम्हारी वंशी की धुन,
जो गोकुल की सारी गईयां,
तुम पर वारी वारी जाती हैं।
हे कान्हा,
तुम्हारा...