...

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रोज साथ लेकर सोता हूं।।
काश साथ गुजारे पल हमारे, वो हमें वापिस मोड़दे,
हौसला तब टूटता है जब कोई हमें समझना छोड़दे,
मुझे दर्द भला कैसे होगा मर्द हूं ना, मैं हमेशा अकेले में रोता हूं।
•अपनी बातें जो तुमसे करनी थी,
रोज साथ लेकर सोता हूं।।
तेरी जरूरतें, ज़रूरतें हैं, मेरी ज़रूरतें शरारत हो गई,
मेरा भूखा रहना मजबूरी है, तेरा व्रत रखना इबादत हो गई,
तेरी ख्वाहिशें तेरी खुशियों के लिए अपना वजूद तक खोता हूं।
•अपनी बातें जो तुमसे करनी थी,
रोज साथ लेकर सोता हूं।।
चलो एक दूसरे को समझे, आज से नई शुरुआत करते हैं,
अपनी-अपनी छोड़कर एक-दूसरे की बात करते हैं,
शायद तुम्हें नजर नहीं आते, रोज तेरे साथ ही सपने संजोता हूं।
•अपनी बातें जो तुमसे करनी थी,
रोज साथ लेकर सोता हूं।।
© Dharminder Dhiman