...

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वास्ता रखा साफ दर्पण सा
जो कभी खत्म न हो ऐसी भी मुलाकात देखी है
जो एक पल में खत्म हो जाये वो साथ भी देखी है

नजरिया तो वही रखा अपनों से अपने पन का
गैरो से भी वास्ता रखा साफ दर्पण सा

जब एक एक करके हाथ की लकीरों से मिटते गए
वो वफ़ा के बदले धोखा और प्यार के बदले...