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एकता का एहसास (कविता)
एकता का एहसास:- कोरोना के इस कहर में, क्या खोया क्या पाया। पढ़शालाए बंद हुई, आत्मचिंतन का समय पाया। गाड़ी के थम गए पहिए, प्रदूषण मुक्त पर्यावरण पाया। पर्यटन व्यवस्था बंद हुई, पुरानी यादों का भंडार पाया। व्यस्त जीवन के माहौल से निकलकर, परिवार से जुड़ने का अवसर पाया। बाहर के भोजन का त्याग कर, मां का ममता पूर्ण प्यार पया। मंदिर में बैठें ईश्वर से दूर रह के भी, अंतर मन के ईश्वर का आशीर्वाद पाया। जीवन की भागदौड़ को छोड़ कर, परकती को समझने का अवसर पाया। सच कहूं तो ना कुछ खोया, इस माहौल में राष्ट्र ने एकता का एहसास पाया।
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