...

64 views

बहू हूँ आभिशाप नहीं
बहू हूँ तुम्हारे घर की अभिशाप ना समझना मेरी जिंदगी रंगों से भरी थी फिर से अपनी दुनिया को रंगीन बनाने आई हूँ
एक पिता का स्वाभिमान हूँ मैं अब दूसरे पिता का अभिमान बनने आई हूँ
एक मां की गुड़िया हूँ मैं अब दूसरे मां की उम्मीद बनने आई हूँ
एक भाई का राखी छोड़ के अपने देवर को राखी बांधने आई हूँ
अपनी दीदी की दोस्त हूँ मैं अब अपनी ननंद से दोस्ती भिभाने आई हूँ
बहू हूँ तुम्हारे घर की अभिशाप ना समझना
एक दोस्त था मेरा जो मेरी उम्मीदों से बढ़कर मेरा ख्याल रखता था
एक दोस्त से रिश्ता जोड़ के आई हूँ जो उम्मीदों से बढ़कर मेरे जज्बातों का ख्याल रखता है
बहू हूँ तुम्हारे घर की अभिशाप ना समझना
एक आंगन में तुलसी का पौधा लगाई थी अब इस आंगन में अपने मेहनत और प्यार से सीचने आई हूँ
ये न सोचना तेरा लाल मेरा दिवाना है मै तो इनकी दिवानी हूँ पहले इसकी राधा थी अब रुक्मिणी बनने आई हूँ
बहू हूँ तुम्हारे घर की अभिशाप ना समझना
उस घर के खाने में प्यार डालती थी अब इस घर के खाने को अपने प्यार से बांधने आई हूँ
उस घर ने कभी मेरे आँखों में आँसू न आने दिया अब इस घर से भी यही उम्मीद लेकर आई हूँ
उस घर की काली थी मैं अब इस घर की लक्ष्मी बनने आई हूँ
उस जन्नत वाले घर में जन्म ली अब इस स्वर्ग वाले घर में मरने आई हूँ
बहू हूँ तुम्हारे घर की अभिशाप ना समझना।