एक बार हां एक ही बार मिलती है मां!
बचपन में
खाना मनपसन्द न हो
तो माँ कई और ऑप्शन देतीं.
अच्छा घी लगा के
गुड़ के साथ रोटी खा लो.
अच्छा आलू की
भुजिया बना देती हूँ चलो.
अच्छा चलो
दूध के साथ चावल खा लो.
माँ नखरे सहती थी,
इसलिए उनसे लड़ियाते भी थे.
लेकिन
बाद में किसी ने
इस तरह लाड़ नहीं दिखाया.
मैं अपने आप
सारी सब्जियाँ...
खाना मनपसन्द न हो
तो माँ कई और ऑप्शन देतीं.
अच्छा घी लगा के
गुड़ के साथ रोटी खा लो.
अच्छा आलू की
भुजिया बना देती हूँ चलो.
अच्छा चलो
दूध के साथ चावल खा लो.
माँ नखरे सहती थी,
इसलिए उनसे लड़ियाते भी थे.
लेकिन
बाद में किसी ने
इस तरह लाड़ नहीं दिखाया.
मैं अपने आप
सारी सब्जियाँ...