...

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अस्फुट आवाज़ें
#ज्ञानकीफुसफुसाहट

तमन्नाएं हैं कुछ ऐसी
जिन्हें बेबाक मैं कह नहीं सकता
रूप, सुंदरी, मदमाते लम्हों के नहीं हैं वो साए
वो तो दिल की ताकत मेरी, हैं रौशनी के सरमाए
तमन्नाएं हैं कुछ ऐसी....
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वो अंतरकी गुनगुनाहटें मेरे हृदय में
हरदम कूहूक कुछ महकातें हैं
बेगानों से कर देती दूर
अपना है कौन, बताते हैं
तमन्नाएं हैं कुछ ऐसी...
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कहूं क्या जिसे कहनें को शब्द न रहे
अपनी इस दीवानगी को अब हम क्या कहें
सच है ये मगर दिल इक पल की दूरी न चाहे
उस वैभव भरी रास में हर पल डूबना ही चाहे
तमन्नाएं हैं कुछ ऐसी...
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आज जब पलट, तुम्हें ओ दुनिया देखूं
लगने लगी हो बहूत छोटी
उतर अन्तर, गगन तुझे बाहों में बांधना सीख लिया
ऐसे अद्भुत लम्हों की दास्तान कैसे कहें सुनाएं
तमन्नाएं हैं कुछ ऐसी....
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

© सुशील पवार