सर्दी की रात
वो गुनगुनी सी धूप
वो रज़ाइयों की गरमाहट,
वो ग़ज़्ज़क की ख़ुशबू
वो मूँगफली की कुरमुराहट,
बस एक लफ्ज़ "सर्दी" से ही
चेहरे पर मुस्कान आ जाती है,
गर्मी में झुलसे चेहरों पर
गुलाबी रंगत खिल जाती है,
कंपकंपा देने वाली सर्दी की
ठंडी और निष्ठुर रातों में,
हम सोये रहते रज़ाइयों में
लेकर हाथों को हाथों में,
क्या कभी किसी ने सोचा ये
क्या करते होंगे वो सब लोग,
न सिर...
वो रज़ाइयों की गरमाहट,
वो ग़ज़्ज़क की ख़ुशबू
वो मूँगफली की कुरमुराहट,
बस एक लफ्ज़ "सर्दी" से ही
चेहरे पर मुस्कान आ जाती है,
गर्मी में झुलसे चेहरों पर
गुलाबी रंगत खिल जाती है,
कंपकंपा देने वाली सर्दी की
ठंडी और निष्ठुर रातों में,
हम सोये रहते रज़ाइयों में
लेकर हाथों को हाथों में,
क्या कभी किसी ने सोचा ये
क्या करते होंगे वो सब लोग,
न सिर...