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💕आ सवारूँ तुझे💕
चुरा कर तेरी मसरूफ़ियत से कुछ लम्हे
खुद पे खर्च कर डालूँ तुझे
बैठ कर आग़ोश में तेरे
पहरों निहारूँ तुझे
बिखरी मेरी लटों को
समेट कर तुम बोलो
"आ बैठ पास सवारूँ तुझे
उँगलियों की पोरो से छूकर,
सुलझा दूँ इन जुल्फों को
उधार ले रात से कुछ कालिमा,
आँखों मे सज़ा दूँ उसे
लेकर फ़ूलों से रंग थोड़ा,
होठों की लाली बना दूँ उसे
मेरे अधरों की एक छुअन ,
माथे की बिंदियां बना दूँ उसे"
अपने प्यार के हर रंग से
तुम करो श्रृंगार मेरा
कभी फीका न कर सके कोई
ये रंग चढ़े मुझ पर कुछ ऐसे
अर्चना गुप्ता 😊
© archna
खुद पे खर्च कर डालूँ तुझे
बैठ कर आग़ोश में तेरे
पहरों निहारूँ तुझे
बिखरी मेरी लटों को
समेट कर तुम बोलो
"आ बैठ पास सवारूँ तुझे
उँगलियों की पोरो से छूकर,
सुलझा दूँ इन जुल्फों को
उधार ले रात से कुछ कालिमा,
आँखों मे सज़ा दूँ उसे
लेकर फ़ूलों से रंग थोड़ा,
होठों की लाली बना दूँ उसे
मेरे अधरों की एक छुअन ,
माथे की बिंदियां बना दूँ उसे"
अपने प्यार के हर रंग से
तुम करो श्रृंगार मेरा
कभी फीका न कर सके कोई
ये रंग चढ़े मुझ पर कुछ ऐसे
अर्चना गुप्ता 😊
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