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यादों का दर्द
कोई कैसे जिएं जब जिंदगी भर किसी की याद सताए,
यार के बिना दुनिया की कोई खुशी कोई जश्न ना भाए,
विरह में धड़कने ही जिस्म की हर रग में आग लगाए,
गुज़रे हुए लम्हों की यादें हर पल दिल को ही जलाएं,
दुनिया का हर दुःख दर्द क्यों दीवानों के हिस्से में आए,
धोखा फरेब करने वाले लोग तो हर दिन महफ़िले सजाएं,
भगवान का सच्चे लोगों के साथ यह भेदभाव समझ नहीं आए,
ओर अगर प्यार करना गुनाह है तो रब्ब प्यार ही क्यों बनाएं।
© DEV-HINDUSTANI