...

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वक़्त की चोट
वक़्त की चोट ने जब सताया,
दिल को तोड़ कर फिर बिखराया।
खो दिया है उसकी यादों में,
अब तन्हाई में रो-रो कर रुलाया।

ख़ुशियों की चादर थी ओढ़ी हुई,
ग़म की रातें बार-बार सुलाया।
धड़कनों में छुपी है उसकी यादें,
आँखों में आंसू छुपाकर हँसाया।

मोहब्बत की राहों में खो गई,
दिल को दर्द से ज़ख्मी कर जगाया।
अब तक़दीर ने हमें भुलाया,
मोहब्बत की चाहत में उलझाया।

उम्र भर का इंतजार किया हमने,
पर वक़्त ने हमें धोखा दिया।
इस दर्द भरी शाम में बिताया,
बस यही एक ख्वाब देखा जगाया।

© Simrans