...

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बहला कर
हमें हमारे हाल पर छोड़ दिया उसने,कुछ देर तक मन बहला कर,

वो फिर से सत्ता पाना चाहता हैं,लोगों पर धर्म का रंग चढ़ाकर,

बन गया शांति का दूत अब वो भी,पहले गरीबों की बस्तियां जलाकर,

उठा रहा हैं देश का वो सिर बड़ा ऊंचा, राजनीति का स्तर गिराकर,

शेर बन गया हैं भीगी बिल्ली, पड़ोसियों को लाल आंखें दिखाकर,

ख़ुद के जुर्म को सही साबित कर लेते हैं वो,दूसरों पर आरोप लगाकर,

मतलब निकलते ही दूर कर दिया,पहले गले लगाया था अपना बताकर,

कुम्हार ने मिट्टी के बर्तन बेच दिए सोने की झाल में मढ़ाकर,

साथ चलने की नौबत आई नहीं,हो गया दूर वो इंतज़ार में सताकर,

प्रेम की बातें करता हैं सामने,पीछे से 'ताज' वो नफ़रत फैलाकर,
© taj