...

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चंद अशआर
मेरे चेहरे पे बस चेहरा नहीं था।
बुरा दिल का भी मैं इतना नहीं था।

उसे क्यों याद अब गिन गिन करूँ मैं
दिया जिसने मुझे क्या क्या नहीं था।

तुम्हें पढ़ने की ही फ़ुर्सत नहीं थी,
लिखा चेहरे पे वर्ना क्या नहीं था।

तेरा दुःख देखा तब मैंने ये जाना,
मेरा दुःख  तो ज़रा सा भी नहीं था।

कहा हमने वही जो सच लगा है,
मैं औरों की तरह झूठा   नहीं था।


© इन्दु