...

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आज की नारी
नारी.....
आज की नारी सब पर भारी
पूरूषत्व बल वो रखती है
धर्म मर्यादा मे जकडी़
फिर भी आगे बढती है
घर बाहर दोनो संभाले
कामकाजी भी होती है
अरमानो की उडा़न भरे वो
नील गगन को उड़ती है
सहती जीवन की कठिनाईया को
कभी बेबस,कभी चिंतित,कभीआंसु पी जाती है
नही रूकती वो किसी भी पथ पर
स्वत ही चलती जाती है
वीरता का दामन थामे पगपग आगे बढती है
कभी मां कभी पत्नी कभी वो बेटी होती है
निभाती है वो हर रिश्ते पर खुद को कही खो देती है
आज की नारी.......