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साहसिक यात्रा
साहसिक यात्रा

चलो चलें अज्ञात डगर,
जहाँ हो पर्वत और सागर।
नई ऊँचाइयों को छू लें हम,
सपनों के संग उड़ें हम।

चट्टानों से टकराएँ,
पानी की लहरों संग बह जाएँ।
वृक्षों की छाँव में ठहरें,
धूप में फिर से खिल जाएँ।

जो डर से न कभी झुकें,
वही तो हैं सच्चे यात्री।
राहें चाहे कठिन हों कितनी,
मंज़िलें देतीं नई कथा।

हर मोड़ पर मिलती सीख,
हर क्षण में होती एक जीत।
यात्रा का आनंद ही है सच्चा,
जीवन का यह है अद्भुत नक्शा।