...

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वक़्त ये खेल कर न जाए कहीं
वक़्त ये खेल कर ना जाये कहीं
दौर तेरा गुज़र ना जाये कहीं ।।

ना मिलाओ हम से नजरों को
इश्क़ नैनों से झर ना जाये कहीं ।।

वस्ल तेरी तो तमन्ना ना रही
हिज्र तेरा असर ना जाये कहीं ।।

लो चलो दरिया के पार चलें
रूह मेरी ठहर ना जाये कहीं ।।

जीयें ऐसे कि कोई ख़ौफ़ ना हो
मौत आ के सिहर ना जाये कहीं ।।

झूम लो आज मेरे शेरों पे
ग़म मेरा कल संवर ना जाये कहीं।।
© सोनी