...

1 views

सुंदर सी एक लड़की एक दिन ऑफिस आई थी
सुंदर सी एक लड़की एक दिन ऑफिस आई थी
न चूड़ी न मेहंदी न बिंदिया वह लगाई थी
बिन सजे धजे ही वह
ऐसे लगी जैसे फूल की पत्तियों ने ओस कि बुंदों से छटा जगमगाई थी
एक सुंदर सी,,,,,,,,

चमचमाती हुई फेस उनकी अंधेरे में जुगनू सी रोशनी भरमाई थी
अदाए उसकी चांद सी शीतलता दे पाई थी
जैसे हीरे पर एक किरण जग को जगमगाई थी
वैसे ही उसने प्यार कि एक ज्योत जगाई थी
सुंदर सी,,,,,,,,

कमर लचकाती हुई आंखों में छाती हुई
फिजा रंगीन जमी आसमा दिखाई थी
न उनके नाक में बीर न कान में कुंडल
फिरभी देवसेना सी उसकी रंग भाई थी
सुंदर सी,,,,,,,,

उमड़ती धूमडति चमचमाती उसने चार चांद लगाई थी
मीठी मीठी शब्दों से वह कानन कुंडल गाई थी
स्वप्न कई सजाकर उसने बागीयां महकाई थी
एक दिन की बात है एक लजिज चेहरा आई थीं
सुंदर सी,,,,,,,,

समय कुछ 2:00 बज रहा था प्यारी मोहन भरमाई थी
न आंखों में काजल न पैरों में पैजाब पहन वह पाई थी
थरथराती हुई कुर्सी पर वह तशरीफ गड़ाई थी
वह चांद सी मुखड़ा सूरत अपनी दिखाई थी
सुंदर सी,,,,,,,,

बहुत दिनों के बाद उसने यह सौभाग्य किरण खिलाए थी
न चश्मा न घड़ी सिंपल ड्रेस में आई थी
पिठ पर बैग लिए वह कितनी सुंदर छाई थी
एक दिन की वाक्य है एक दिन वह आई थी
एक सुंदर सी,,,,,,,,

पसीने से थी लथपथ होंठ गुलाब न चमकाई थी
भोर सुहानी किरण सी वह तरो ताजा छटा दिखाई थी
वह आहट कि फूल गुलदस्ती सी बैग
किस्मत से क्या नजारे दिखाई थी
सुंदर सी,,,,,,,,

व्योम धरा की वह प्यारी सी गुड़िया सितारा बनकर छाई थी
शाम सुहानी नजर दिखाकर महफिल को सजाई थी
अधूरी स्वप्न की पूरी कहानी वह खिलखिलाई थी
कुछ काम था उन्हें इसलिए वह आई थी
सुंदर सी,,,,,,,,
© Sandeep Kumar