मशरूफ़
#मशरूफ़
हमें हमारी दुनियां में मशरूफ़
रहने दीजिए ज़नाब
हम उम्र से भले ही बड़े हो गए हों
लेकिन हमारे अंदर का बच्चा अभी भी ज़िंदा है
हमारा मन निश्छल साफ पानी-सा
इसे अपनी गुस्ताख़ियों से यूं मैला न कीजिए
ये निश्छल साफ मन ही तो पहचान है हमारी
कम से कम हमसे हमारी पहचान तो मत छीनिए
है गुज़ारिश इस ज़माने से हमारी कि—
हमसे हमारी अच्छाई को मत छीनिए
हमें हमारी ख़ुदारी से जीने दीजिए और
हमें हमारी दुनियां में मशरूफ़
रहने दीजिए।।।
© $@√¡
हमें हमारी दुनियां में मशरूफ़
रहने दीजिए ज़नाब
हम उम्र से भले ही बड़े हो गए हों
लेकिन हमारे अंदर का बच्चा अभी भी ज़िंदा है
हमारा मन निश्छल साफ पानी-सा
इसे अपनी गुस्ताख़ियों से यूं मैला न कीजिए
ये निश्छल साफ मन ही तो पहचान है हमारी
कम से कम हमसे हमारी पहचान तो मत छीनिए
है गुज़ारिश इस ज़माने से हमारी कि—
हमसे हमारी अच्छाई को मत छीनिए
हमें हमारी ख़ुदारी से जीने दीजिए और
हमें हमारी दुनियां में मशरूफ़
रहने दीजिए।।।
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