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अलग हूँ मैं
जब कोई मेरे जैसा नहीं इस दुनिया में
तो किसी और की तरह क्यों बनूँ मैं
जब हूँ मैं सबसे अलग तो
इस बात पर नाज क्यूँ न करूँ मैं
जब मुझ पर रहमत है खुदा की तो
थोड़ा प्रयास क्यूँ न करूँ मैं
हाँ ख्वाब थोड़े अलग है पर उन्हें मुकम्मल
करने की कोशिश क्यूँ न करूँ मैं।
तो किसी और की तरह क्यों बनूँ मैं
जब हूँ मैं सबसे अलग तो
इस बात पर नाज क्यूँ न करूँ मैं
जब मुझ पर रहमत है खुदा की तो
थोड़ा प्रयास क्यूँ न करूँ मैं
हाँ ख्वाब थोड़े अलग है पर उन्हें मुकम्मल
करने की कोशिश क्यूँ न करूँ मैं।
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