...

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सिर्फ तुम.....
भटकी हुई राही हूँ मैं
मेरा रास्ता और मंजिल हो तुम

हार गई हुँ जिंदगी के तपेड़ो से
मेरी सांत्वना ,तसल्ली हो तुम

तंद्रालु , निद्रालु सी है अंखियां मेरी
मेरे सुंदर सलोने प्यारे सपन हो तुम

जिंदगी की थकन से हूँ मजूबर
दरख्त की शीतल छाया हो तुम

चलूँ किसी भी रस्ते पर सनम
पर मेरी मंजिल हो सिर्फ तुम



© ऋत्विजा