मेघा... सुन लो
हे मेघा, हे वारिद जलधर, हे अंबुद विनती सुन लो
कब से प्यासी इस भूमि की, अब तो कुछ सुध लो..
मोर, पपीहा, चातक व्याकुल, व्याकुल सारे भूचर
वृक्ष वनस्पति सब हैं प्यासे अब करो कृपा अंबुधर...
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कब से प्यासी इस भूमि की, अब तो कुछ सुध लो..
मोर, पपीहा, चातक व्याकुल, व्याकुल सारे भूचर
वृक्ष वनस्पति सब हैं प्यासे अब करो कृपा अंबुधर...
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