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दर्पण (आईना)
#दर्पणप्रतिबिंब

दर्पण
जो जैसा है
वैसा ही दिखाने वाला
निर्जिव आईना
जो कोई भी हो
कैसा भी हो
जो भी आए
दर्पण के सामने
जैसा है वैसा
प्रतिबिंबित करने का
अटूट प्रामाणिकता
वास्तविक सत्य पहचान
फिर भी देखने वाले
सभी हो जाते है अनजान
अपनी सुंदरता निखारने
मशगूल रहते
अपने आप में ही
खो जाते है
दर्पण
सच्चाई समर्पण
मेरे सामने
हंसेंगे तो हंसूंगा
रोएंगे तो रोऊंगा
रुठेंगे तो रुठूंगा
क्रोधित तो क्रोध
मौन तो मौन
सब कुछ तो
देखने वाले की इच्छा
मेरी तो
प्रतिबिंबित करने कि सदिच्छा
© आत्मेश्वर