गज़ल- वो एक ही शख्स था।
तारा टूटा तो मिला ही नहीं, आसमां में।
वो एक ही शख्स था, क्या इस जहां में।
तमाम लोग सफ़र में, बिछड़ गए मुझसे
ये किसने लगाई थी आग, मेरे कारवां में।
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वो एक ही शख्स था, क्या इस जहां में।
तमाम लोग सफ़र में, बिछड़ गए मुझसे
ये किसने लगाई थी आग, मेरे कारवां में।
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