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अनमोल प्रिय वस्तु
सवेरे की लाली और शाम का अंधेरा
तुम से ही शुरु तुम पर ही खत्म
चिड़ियों की चहचहाहट और गंगा की आरती
तुम से ही शुरु तुम पर ही खत्म
लोगों के सुकून और लोगों की अशांति तुम से ही शुरु तुम पर ही खत्म
जीवन में सब कुछ पाने की इच्छा
जीवन में सब कुछ हारने का गम
तुम से ही शुरु तुम पर ही खत्म
तुम सा खूबसूरत ना कोई है और ना होगा
अकेले रह कर भी सब के बारे में सोचता है
खुद जलकर सबको उजाला देता है सबके जीवन सूरज से शुरू सूरज पर ही खत्म।
© freedom
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