...

11 views

दिलवर जानी
हमने तुमको दिलवर माना, तुमने माना दिलवर जानी,!
दो लफ्जो मे नहीं रुकेगी, अब ये अपनी प्रेम कहानी !
तुम पर आंच ना आने दूंगा,कर दू अपनी मै नीलामी !
गर तू रूठें रब भी रूठें, क्यू करती है तू मनमानी !
मै भी उसकी पूजा करता, तू भी उसकी है दीवानी!
तू बोले तो मिश्री घोले, तेरा वचन है निर्मल पानी !
मन मंदिर मे मुझे बसाया, क्या मै हु बाबा बर्फ़ानी !
तेरी गली मे आना जाना, क्यू मुश्किल है मेरे जानी !
तुम हो तो ये जीवन भी है, वरना लगता है बेमानी!
तुमको जो दुख दर्द दिये हो, वो सब थी मेरी नादानी !
कर दो माफ उन्हें गर चाहो, मान लिया था मै अभिमानी !
कुंदन तुम हो मै हु पतझड़,फिर भी साथ रहेंगे रानी !