कितना खुश होता हैँ वो आदमी......
कितना खुश होरा हैँ वो आदमी
ज़ब होना ज़मीर बेच कर दुनिया खरीदने की कोशीश करता हैँ
कितना खुश होता हैँ वो आदमी.
जो दूसरे की पगड़ी उछाल कर अपनी पगड़ी बचाने मे कामयाब हो जाता हैँ
ज़ब होना ज़मीर बेच कर दुनिया खरीदने की कोशीश करता हैँ
कितना खुश होता हैँ वो आदमी.
जो दूसरे की पगड़ी उछाल कर अपनी पगड़ी बचाने मे कामयाब हो जाता हैँ
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