8 views
नारी
जन्म से पहले जिसकी तक़दीर तय हो जाती है,
साँसें लेती है मगर यह ज़िंदगी नहीं पाती है,
कुर्बानी का नाम इसका, अस्तित्व भी कुर्बान होता,
सूरत शक्ल इसकी मगर, पहचान पुरूष का ही होता,
नींव भी यही वृक्ष भी यही, मगर फल को महरूम रहे,
नारी जीवन श्राप सम, उजालों में भी पहचान सदा गुम रहे।
© khwab
साँसें लेती है मगर यह ज़िंदगी नहीं पाती है,
कुर्बानी का नाम इसका, अस्तित्व भी कुर्बान होता,
सूरत शक्ल इसकी मगर, पहचान पुरूष का ही होता,
नींव भी यही वृक्ष भी यही, मगर फल को महरूम रहे,
नारी जीवन श्राप सम, उजालों में भी पहचान सदा गुम रहे।
© khwab
Related Stories
9 Likes
2
Comments
9 Likes
2
Comments